अब तो जगो, हे महाकाल,
मारे जा रहे तेरे लाल |
कब तक ऐसे रक्त बहेगा,
कब तक भगवा यूँ ढहेगा,
कर तंग तू भृकुटी कपाल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||
मरते निर्दोष न देखा कर,
मार पापी को राख कर,
दिखा दे अपना रूप विकराल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||
करपात्री या कौशलगिर,
असुर भीड़ ने डाला चीर,
आज भी साधु मरे बेहाल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||
कर याद ‘संभवामि’ वचन,
त्रिशूल चक्र का कर चयन,
*नंद* पूछे अस्तित्व सवाल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||
अब तो जगो, हे महाकाल,
मारे जा रहे तेरे लाल |
- नरेन्द्र वाघेला
(दि.२०-०४-२०२०)
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