Monday, 20 April 2020

अब तो जगो, हे महाकाल

अब तो जगो, हे महाकाल,
मारे जा रहे तेरे लाल |

कब तक ऐसे रक्त बहेगा,
कब तक भगवा यूँ ढहेगा,
कर तंग तू भृकुटी कपाल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||

मरते निर्दोष न देखा कर,
मार पापी को राख कर,
दिखा दे अपना रूप विकराल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||

करपात्री या कौशलगिर,
असुर भीड़ ने डाला चीर,
आज भी साधु मरे बेहाल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||

कर याद ‘संभवामि’ वचन,
त्रिशूल चक्र का कर चयन,
*नंद* पूछे अस्तित्व सवाल,
अब तो जगो, हे महाकाल ||

अब तो जगो, हे महाकाल,
मारे जा रहे तेरे लाल |
- नरेन्द्र वाघेला 
(दि.२०-०४-२०२०)

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