Tuesday, 22 August 2017

मैं जाग गया..!

कल रात मैंने एक "सपना"  देखा कि मेरी मौत हो गई...!!!

जीवन में कुछ अच्छे कर्म किये होंगे इसलिये यमराज मुझे स्वर्ग में ले गये...
देवराज इंद्र ने  मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया...

मेरे हाथ में थैला देखकर पूछने लगे, ''इसमें क्या है..?"
मैंने कहा, ''इसमें मेरे जीवन भर की कमाई है, पांच करोड़ रूपये हैं ।"

इन्द्र ने मुज़े  न.वा.०५०५१९७८  नम्बर के लोकर की ओर  इशारा करते हुए कहा- ''आपकी अमानत इसमें रख दीजिये..!''
मैंने थैला उस लोकर में रख दीया...

मुझे एक कमरा भी दिया, जहां नहा-धोके तैयार होकर में स्वर्ग के बाज़ार में निकला...

देवलोक के शोपिंग मॉल मे अदभूत वस्तुएं देखकर मेरा मन ललचा गया..!
मैंने कुछ चीजें पसन्द करके एक ट्रोली में डाली और काउंटर पर जाकर
उन्हें हजार हजार के करारे नोटें देने लगा...

वहा के मेनेजर ने नोटों को देखकर कहा, ''यह नोट यहाँ नहीं चलती..!''
यह सुनकर मैं हैरान रह गया..!

मैंने इंद्र के पास जाकर इसकी शिकायत की...
इंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा कि, ''आप व्यापारी होकर  इतना भी नहीं जानते..?
कि आपकी करेंसी आपके बाजु के मुल्क पाकिस्तान,  श्रीलंका  और बांगलादेश में भी
 नही चलती... और आप मृत्यूलोक की करेंसी स्वर्गलोक में चलाने की मूर्खता कर रहे हो..?''

यह सब सुनकर मुझे मानो साँप सूंघ गया..!
मैं जोर जोर से दहाड़े मारकर रोने लगा. और परमात्मा से दरखास्त करने लगा...

''हे भगवान्.. ये क्या हो गया.?''
''मैंने कितनी मेहनत से ये पैसा कमाया..!''
''दिन नही देखा, रात नही देखा, पैसा कमाया...!''

''माँ बाप की सेवा नही की, पैसा कमाया,
बच्चों की परवरीश नही की, पैसा कमाया....
पत्नी की सेहत की ओर ध्यान नही दिया, पैसा कमाया...!''

''रिश्तेदार, भाईबन्द, परिवार और यार दोस्तों से भी किसी तरह की
हमदर्दी न रखते हुए पैसा कमाया.!!"

''जीवन भर हाय पैसा, हाय पैसा किया...!
ना चैन से सोया, ना चैन से खाया...
बस,  जिंदगी भर पैसा कमाया.!''

''और यह सब व्यर्थ गया..?''
''हाय राम, अब क्या होगा..!''

इंद्र ने कहा,- ''रोने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है.!! "
"जिन जिन लोगो ने यहाँ जितना भी पैसा लाया, सब रद्दी हो गया।"

"जमशेद जी टाटा के ५५ हजार करोड़ रूपये,
बिरला जी के ४७ हजार करोड़ रूपये,
धीरू भाई अम्बानी के ३० हजार करोड़ अमेरिकन डॉलर...!
सबका पैसा यहां लोकर में पड़ा है...!"

मैंने इंद्र से पूछा- "फिर यहां पर  कौनसी करेंसी चलती है..?"

इंद्र ने कहा- "धरती पर अगर कुछ अच्छे कर्म किये है क्या ...?!
...जैसे किसी दुखियारे को मदद की,
...किसी रोते हुए को हसाया,
...किसी गरीब बच्ची की शादी कर दी,
...किसी अनाथ बच्चे को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया...!
...किसी को व्यसनमुक्त किया...!
 ...किसी अपंग स्कुल, वृद्धाश्रम या मंदिरों में दान धर्म किया...वगैरा...वगैरा...
"ऐसे पूण्य कर्म करने वालों को यहाँ पर एक क्रेडिटकार्ड मिलता है...!
... और उसका उपयोग करके आप यहाँ स्वर्गीय सुख का उपभोग ले सकते है..!''

मैंने कहा, "भगवन.... मुझे यह पता नहीं था. इसलिए मैंने अपना जीवन व्यर्थ गँवा दिया.!!"
"हे प्रभु,  मुझे थोडा आयुष्य दीजिये..!''
और मैं गिड़गिड़ाने लगा.!

इंद्र को मुझ पर दया आ गई ! !  उन्होंने तथास्तु कहा... और मेरी नींद खुल गयी..!
मैं जाग गया..!
अब मैं वो दौलत कमाऊँगा जो वहाँ चलेगी..!!
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नोट : रचना किसी और की है मैंने तो आप तक पहुंचाने में सिर्फ मेरी उंगलियों का इस्तेमाल किया है।  

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